चंदा का चंद्रोदय प्रायः तय !
फॉरबिसगंज, संवाददाता
चंदा जायसवाल का चंद्रोदय होना प्रायः तय सा है ! पार्षद अमित के उपर हुए जानलेवा हमले मामले में पुलिस की निष्पक्ष जांच पर टिकी है शहरवासियों की नजरें । जिला पुलिस कप्तान निभा सकती हैं अहम किरदार । नप की स्तरहीन राजनीति से शहरवासी व्यथित !
फारबिसगंज नप के अध्यक्ष पद का आगामी 01 अगस्त को होने वाली चुनाव को लेकर शहर भर हीं नहीं पूरे जिले की नजरें टिकी हुई है । पूर्व नप अध्यक्ष अनूप कुमार जायसवाल की धर्मपत्नी व वार्ड 11 की पार्षद चंदा जायसवाल के भाग्य का चंद्रोदय होना अब प्रायः तय माना जा रहा है । उनके पक्ष में तकरीबन डेढ़ दर्जन पार्षदों की लामबंदी के खबरों के बीच उनका अगला अध्यक्ष बनना प्रायः तय मान रहे हैं नप की राजनीति से जुड़े जानकार । हालांकि औपचारिक घोषणा फ्लोर टेस्ट पर हीं होना है , जो आगामी 01 अगस्त को हीं वोटिंग के बाद पता चलेगा ।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वार्ड पार्षद अमित कुमार के उपर गत दिनों अनशनस्थल पर हुए जानलेवा हमले मामले में पीड़ित अमित के फर्दबयान पर चंदा देवी , उनके पति व्यवसायी सह पूर्व नप अध्यक्ष अनूप कुमार जायसवाल , उप मुख्य पार्षद मोतिउर रहमान उर्फ मोती खान , पार्षद इरफान अंसारी सहित 03 अज्ञात हमलावरों के विरुद्ध फारबिसगंज थाने में मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद से नप की राजनीति एकदम से गरमा गई है । पार्षदों की गुप्त बैठकों का दौर जारी है ।
बताया जाता है कि जानलेवा हमले के बाद दर्ज प्राथमिकी को राजनीति से प्रेरित व चुनाव को प्रभावित करने वाला कृत्य बताते हुए नामजद किये गए पार्षदों के परिजनों ने एसपी अररिया धूरत सायली सांवलाराम को मामले की निष्पक्ष जांच के लिये आवेदन दिया है । जिसमें कांड के सूचक पार्षद पर भी ढ़ेर सारे आरोप जड़े गए हैं ।
इधर जानलेवा हमले के शिकार पार्षद अमित कुमार की सुरक्षा के लिये पुलिस ने दो पुलिसकर्मियों को उनके आवास पर तैनात किया है । पार्षद जानलेवा हमला कांड में नामजद की गिरफ्तारी में विलंब से नाराज पार्षद अमित के दुबारा विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन किये जाने के तैयारी की भी खबरें आम है ।
इसके अलावे जिस प्रशासनिक भवन निर्माण मामले में गड़बड़ी व मूल संचिका गायब होने को लेकर पार्षद अमित के तीन दिवसीय भूख हड़ताल के बाद एसडीओ फारबिसगंज रविप्रकाश के द्वारा तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है तथा 15 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया है , इसे लेकर भी नप कार्यालय कर्मियों में अंदरखाने खलबली की खबरें है ।
इतना हीं नहीं पार्षदों की कथित मोटी रकम देकर खरीद फरोख्त की मिल रही अपुष्ट खबरों से शहरवासियों में चर्चा है की जो लोग डेढ़ से दो करोड़ रुपया नप अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये खर्च कर रहे हैं , वो पहले अपने पैसे नप की योजनाओं में लूट खसोट कर निकालेंगे की शहरवासियों के कल्याण व विकास पर ध्यान देंगे ?
फिजाओं में तैरते इन यक्ष प्रश्नों का जबाब आगामी 01 अगस्त को बनने वाले नप अध्यक्ष सहित निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनमानस को अंततः देना पड़ सकता है । लब्बोलुआब यह कि 1912 में गठित फारबिसगंज नप की राजनीति का इतना घृणित रूप पहले शहरवासियों को देखने को नहीं मिला । लोग कहते हैं कि पहले लोग नप की राजनीति में सेवाभाव से आते थे पर अब ……..?